________________ 18 वनस्पतियों के स्वलेखे साम्य है और किसी-किसी बात में तो वनस्पति मनुष्य से भी बढ़कर होती है। मो इसका अनुभव एक दिन अपनी प्रयोगशाला में लाजवन्ती का अभिलेख लेते समय हुआ। मुझे एक-सी अनुक्रिया मिल रही थी किन्तु उसमें अकस्मात् अवसाद पैदा हुआ, जिसका पहले कोई कारण समझ में नहीं आया, क्योंकि सब तरफ की अवस्था अपरिवर्तित ही प्रतीत हुई / किन्तु तभी खिड़की से बाहर झाँकने पर मैंने देखा कि सूर्य के सामने से एक बादल का टुकड़ा गुजर रहा है। पौधों ने उस हल्की-सी छाया को देख लिया जिस पर मैंने ध्यान नहीं दिया था / जैसे ही बादल हटा, पौधे की स्वाभाविक ओजस्विता लौट आयी, जैसा चित्र 11 के अभिलेख से ज्ञात होता है। तापमान का प्रभाव वनस्पति पर केवल प्रकाश के परिवर्तन का ही नहीं, तापमान के परिवर्तन का भी प्रभाव पड़ता है / लाजवन्ती के सबसे अधिक सक्रिय होने चित्र १२--अतिशीत में अनावृत होने का प्रभाव। उत्तेजना को रोक देने पर आकस्मिक अवनमन पर ध्यान दीजिये और बाद के निरंतर प्रभाव पर भी ध्यान दीजिये। के लिए लगभग एक निश्चित तापमान आवश्यक है / यह अनुकूलतम तापमान 33degC या 61degF होता है। जब तापमात 11degC पर गिराया जाता है तब वनस्पति शीत के कारण ठिठुर कर लगभग शक्तिहीन हो जाती है / एकाध डिग्री और नीचे आने पर इसका संवेदन बिलकुल ही समाप्त हो जाता है / चित्र 12 में देखा जा सकता है कि अत्यधिक शीत के कारण पौधे ने चेतना पूर्णतः खो दी है। निम्न रेखा शीत-स्थिति