________________ 216 वनस्पतियों के स्वलेख मानव-मस्तिष्क क्रम-व्यवस्था और नियम के समरूप प्रयाण को समझ पायेगा? भारत अपने स्वभावानुसार एकता के आदर्श को समझने और घटनाप्रधान विश्व में व्यवस्थित संसृति को देखने के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है। विचार की यही प्रवृत्ति मुझे अनजाने ही विभिन्न विज्ञानों के सीमान्तों पर ले गयी और अकार्बनिक संसार के अन्वेषण से संघटित जीवन और उसके बहुविध कार्यकलापों-वृद्धि, गति और संवेदन-के अन्वेषणों तक सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक के मध्य सतत फेर-बदल करते हुए उसने मेरे कार्य के पथ का निर्माण किया। इस प्रकार भौतिकी, दैहिकी और मनोविज्ञान की रेखाएँ एकस्थ होकर आपस में मिल जाती हैं / और यहाँ पर वे लोग एकत्र होंगे जिन्हें अनेकत्व में एकत्व की खोज की ओर प्रवृत्त होना है।