________________ 210 वनस्पतियों के स्वलेख कराकर तंत्रिका-आवेग को बढ़ाया या बन्द किया जा सकता है। प्रबोधन को बढ़ाने में ध्यान और आशा का प्रभाव तो ज्ञात है, और सुझाव की शक्ति भी। निम्नोक्त घटना से तंत्रिकाओं के नियंत्रण में इच्छा के प्रभाव का पता चलेगा। मैं कुमायूं की ओर हिमालय की तराई की सीमा पर एक अभियान में गया था। ग्रामीण भयग्रस्त थे, क्योंकि एक मनुष्यभक्षी शेरनी वन में आ गयी थी और अब. तक वह असंख्य जानें ले चुकी थी। वन की हत्यारिन दिन के प्रकाश में भी आकर उनमें से किसी एक को आराम से अपना शिकार बनाती और उठा ले जाती थी। जब मुक्ति की सब आशा लुप्त हो गयी तब ग्रामीणों ने एक सामान्य कृषक कालू. सिंह से, जिसके पास एक तोड़दार बन्दूक थी, प्रार्थना की / इस बाबा आदम के जमाने की बन्दूक लेकर और अपने साथी ग्रामीणों की प्रार्थना की गूंज अपने कानों में भरे हुए कालूसिंह इस संकटमय साहसिक कार्य के लिए चल पड़ा। शेरनी ने एक बैल को मार डाला था और उसे एक खेत में छोड़ दिया था, . कालूसिंह वहाँ उसके लौट आने की प्रतीक्षा करता रहा। वहाँ आस-पास कोई वृक्ष नहीं था, केवल एक नीची झाड़ी थी, उसी के पीछे वह छिपा हुआ लेटा रहा। घंटों प्रतीक्षा करने के बाद जब सूर्यास्त हो रहा था, वह एकाएक अपने से छः फुट दूरी पर शेरनी की छाया देखकर चौंक पड़ा। उसने अपनी बन्दूक उठाकर निशाना लेना चाहा, किन्तु असफल रहा, क्योंकि उसका हाथ अनियंत्रित भय से काँप रहा था। कालूसिंह ने बाद में मुझसे बताया कि किस प्रकार उसने अपनी मृत्यु के भय पर विजय पायी। उसने स्वयं अपने आपसे कहाः 'कालूसिंह, कालूसिंह, तुम्हें यहाँ किसने भेजा ? क्या ग्रामवासियों ने तुम्हारे ऊपर विश्वास नहीं किया था? तब मैं छिपा न रह सका और उठ खड़ा हुआ, और तभी एक आश्चर्यजनक घटना घटी। सब कम्पन समाप्त हो गया, और मैं फौलाद की तरह कठोर हो गया। शेरनी तप्त आँखों से पूछ फटकारती हुई छलाँग मारने के लिए झुकी हुई थी, केवल छ: फुट का फासला हमारे बीच था। उसने छलाँग मारी और इधर मेरी बन्दूक ठीक उसी वक्त छूटी, शेरनी अपना निशाना चक गयी और मेरे पास मृत होकर गिर गयी।" परिस्थितियों पर विजयी मनुष्य अतः संवेदना को निश्चित करने में इच्छा की आन्तरिक उद्दीपना बाह्य आघात के ही समान आवश्यक है और इस प्रकार तंत्रिका के आन्तरिक नियंत्रण द्वारा परिणामी संवेदना के स्वरूप में अत्यधिक सुधार होता है। इसलिए बाह्य परिस्थितियां इतनी अधिक प्रभावी नहीं हैं। मनुष्य भाग्य के हाथ में एक निष्क्रिय