________________ सूर्य और उसका पर्ण-रथ 165 लाजवन्ती का पर्ण-समायोजन और भी अधिक विस्मयकारी है / चित्र में बायीं ओर यह चित्रित है। गमले में उत्पत्र एक पौधा उत्तर दिशा से प्रकाश पाता था। यह देखा गया कि जो पत्ते प्रत्यक्ष प्रकाश की ओर थे, वे इस प्रकार उठे हैं कि उनके अधः पर्णवृन्त और छोटी पत्तियाँ तीव्रतम प्रकाश के लम्ब कोण पर हैं। दूसरी ओर पार्श्व-पर्ण उपयुक्त रूप से मुड़े हुए हैं, पत्तियों का ठीक प्रकाश के सीध में समायोजन हुआ। यह पाया गया कि दाहिनी और बायीं ओर के पर्णवृन्त में विपरीत मरोड़ हुई है। इस स्थिति की अवधारणा के पश्चात् पौधे के गमले को 180deg पर घुमाकर रखा गया / 20 मिनट के भीतर इसमें एक नूतन समायोजन हुआ, सब पत्तियों के तल प्रकाश के लम्बकोण पर हो गये। इस नये समायोजन के कारण पहले की गति और मरोड़ पूर्ण रूप से विपरीत हो गयी। सूर्य-सेवन य गतियाँ किस प्रकार होती हैं ? पर्ण जैसे सूर्य-सेवन के लिए ही इस प्रकार घूम जाते हैं / जब हम सूर्य की ओर अपनी हथेली मोड़ते हैं तब क्या होता है ? ऐसा करने के लिए बाहु की अत्यधिक जटिल पेशी-यन्त्र-रचना को क्रियाशील बनाना पड़ता है। इससे दाहिनी या बायीं ओर घुमाव होता है, या ऊपर-नीचे गति होती है। पर्ण में भी इसके पेशी-अंग.स्थूलाधार को इसी प्रकार की एक जटिल गति प्रकाश की क्रिया द्वारा लानी पड़ती है। वनस्पति के आवश्यक प्रेक्षण के लिए मैं अब लाजवन्ती को लूंगा। इसमें स्थूलाधार की चरता अत्यधिक स्पष्ट है / यह सोचा जाता था कि पर्ण की प्रेरक यन्त्ररचना सामान्य है और उसमें केवल एक ऊपर-नीचे गति होती है। मेरे अनुसंधानों के परिणाम से पता चलता है कि ऐसा नहीं है। कारण, यन्त्र-रचना द्वारा यथेष्ट जटिल गतियाँ हो सकती हैं। केवल ऊपर नीचे ही नहीं बल्कि दाहिनी और बायीं ओर भी मोड़ की क्रिया होती है। .. स्वयं स्थूलाधार में बायें और दाहिने, ऊपरी और निचला (चित्र 118), ये चार चतुष्कोण होते हैं जिनकी क्रमसंख्या 1, 4, 3, 2 हैं। अब यदि एक मन्द विद्युत्आघात या प्रकाश की एक किरण द्वारा बायीं चतुष्कोण संख्या 1 को स्थानिक रूप से उद्दीप्त किया जाता है, तो पर्ण प्रत्युत्तर में गिरता नहीं बल्कि बायीं ओर मुड़ जाता है। यदि उद्दीपना बायीं ओर से दाहिने चतुष्कोण की ओर कर दी जाती है तो इसका परिणाम होगा, दाहिनी ओर को ऐंठन। ऊपरी चतुष्कोण 3 में उद्दीपना द्वारा ऊपर की ओर मन्द गति होती है, जब कि निम्न चतुष्कोण 2 में उद्दीपना द्वारा नीचे