________________ प्राणी और वनस्पति पर ऐलकालायड और नाग-विष की क्रिया 156 प्राणी और वनस्पति दोनों ही में (1) ऊतक की बल्य दशा और (2) उपयोग की मात्रा और अवधि से परिणाम में हेरफेर हो जाता है। मैं अभी कुछ सामान्य और विशिष्ट उदाहरणों का वर्णन करूँगा। सर्पशीर्ष (Ophiocephalus) नामक मछली के हृदय का हृत्स्पन्द-लेख लिया गया। इस मछली का स्वाभाविक स्पन्द काफी लम्बे समय तक समान रहता है। वनस्पति के रुधिर-दाब-लेख लेने के लिए मनोज्ञा (Cosmos), प्रमुण्ड पुष्प (Centaurea) और नास पुष्प (Antirrhinum) का उपयोग किया गया। *002 cam camphor चित्र-६० चित्र-६१ चित्र ९०--कर्पूर का प्रभाव / ऊपरी अभिलेख हृत्स्पन्द की स्वाभाविक गति दिखाता है। द्रतगति से नीचे जाने वाली रेखा से हत्कोची संकुचन द्वारा रस-स्राव का निरूपण होता है; ऊपर जाने वाली रेखा द्वारा सक्रिय हृद प्रसारण का, क्षतिज या थोड़ा ऊपर जाने वाली रेखा द्वारा निष्क्रिय हद प्रसारण या पूर्व हत्कोच का जिसकी अवधि भेषजों की क्रिया द्वारा वघित होती है, निरूपण होता है। निम्न अभिलेख, हृत्स्पन्द के त्वरण पर कर्पूर की उद्दीपक क्रिया का निरूपण करता है। (मछली का हृदय) चित्र ६१---वनस्पति पर कर्पूर का प्रभाव; उदञ्चन क्रिया की वृद्धि द्वारा रस-दाब का बढ़ना। प्रत्येक स्पन्द का ऊपरी आघात, निम्नाघात से बड़ा है /