________________ 64 वनस्पति-विज्ञान (10) कफजन्य शूल एवं उदर शूल पर-उपर्युक्त विधि से काथ बनाकर उसमें एक माशा जवाखार मिलाकर पीएँ / (11) बद्धकोष्ठता पर-रेंड की गुद्दी, बादाम और गुलकन्द एक साथ पीस कर और घी के साथ भूनकर खाना चाहिए। (12) दस्त के लिए-एरंड तैल एक तोला से एक छटॉक तक शक्ति के अनुसार दूध के साथ पीना चाहिए / (13) दाह पर-यदि पित्तज दाह हो, तो एरंड पत्र साफ करके उस दाह वाले स्थान पर रखना चाहिए / . सहदेई _____ सं० सह देवी, हि० सहदेई, ब० पीतपुष्प, म० भांबुर्डी, गु० सहदेवी, क० वेल्लदुरुबे, ता० ने चिट्टी, और लै० सिडेहोफिफो. लिया--Siderhomfifolia. विशेष विवरण-यह प्रायः सभी जगह वर्षाऋतु में लता के समान प्रसारित होती है / इसके वृक्ष छोटे और बढ़े दो प्रकार के होते हैं। इसके पत्ते पतले, खरखरे, हरे रंग के और प्रायः दो अंगुल लम्बे होते हैं / इसके फूल और फल छोटे छोटे और पीले रंग के होते हैं। फल छोटे, गोल और कॉटेदार होते हैं / इसका उपयोग औषध के लिए होता है।