________________ पान (16) राजयक्ष्मा-एक माशा गुरिच का सत्त, छः माशे शहद, एक तोला घी और छः माशे मिश्री एक साथ मिलाकर सेवन करना चाहिए। (17) मूत्रकृच्छ में-एक माशा गुरिच का सत्त, एक पाव दूध, एक पाव पानी के साथ सेवन करना चाहिए / (18) नेत्र रोग में-एक माशा गुरिच का सत्त, एक तोला भैंस के घी के साथ सेवन करना चाहिए / / 16) बाल काला करने के लिए-गुरिच, का सत्त मॅगरैया के रस में मिलाकर लगाना चाहिए। (20) धातु-स्तम्भन के लिए-गुरिच के पंचांग का चूर्ण एक तोला; शहद के साथ सेवन करना चाहिए / पान - सं० ताम्बूल, हि० ब० गु० पान, म० नागवेल, क० नागरबल्ली, तै० तामल पाकु, ता० बेट्टिली, फा० वर्गतबोल, अ० फान, अँ विटल्लीफ-Betelleaf और लै० पिपेर विटले-Piper Betle. विशेष विवरस-पान सर्वत्र प्रसिद्ध है। भारतवर्ष के प्रायः छोटे-बड़े सभी स्थानों में इसका व्यवहार होता है / पान की लता सीमा प्रान्त और पंजाब प्रान्त को छोड़ कर जावा, स्याम