________________ प्राकृतिक चिकित्सा दोष आ गया है तो उसे दूर करने की चेष्टा करनी चाहिए / हाँ, यह आवश्यक है कि जड़ी-बूटियों के गुण-दोषों पर फिर से विचार किया जाय; क्योंकि देश-काल और ऋतु-विपर्यय से उनके गुणों में अनेक परिवर्तन हो गए होंगे। आयुर्वेदिक चिकित्सा में इतनी सजीवता है कि वह एक घंटे के लिए मृत्यु को भी हटा सकती है, और रोगी के अवरुद्ध कंठ से चार शब्द निकलवा सकती है। जिन लोगों को आयुर्वेद का चमत्कार देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ होगा वे हमारे इन शब्दों को समझ सकेंगे। हम भारतीयों में इस समय एक महान दुर्गुण सन्निविष्ट हो गया है / वह यह कि हमारा जीवन-निर्वाह और संगठन के प्रकार अनुकरण जनित हो गए हैं / आज अँग्रेजों का शासन है, और हम उनका सहवास पाकर उनके ही जीवन-निर्वाह के ढंगों का अनुसरण कर रहे हैं / पर याद रखना चाहिए कि देश-काल के अनुसार ही प्रकृति की रचना होती है / अंग्रेजों की जीवन-निर्वाह पद्धति उनके देशानुकूल ही हुई है / इस देश में रहने पर भी यहाँ की जीवन निर्वाह पद्धति को वे नहीं ग्रहण कर रहे हैं। पर हम भारतीय उन्हीं के जीवन-निर्वाह प्रकार का अनुसरण करते जा रहे हैं। उनकी ही सभ्यता और शिष्टता को हम आदर्श समझते हैं। इसीसे हमारी प्रकृति उसे स्वीकार नहीं करती / फलतः हम भन्न स्वास्थ्य होकर अकाल ही काल कवलित हो रहे हैं।