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________________ मानव शरीर के तत्व और पदार्थ हमें दीख पड़ते हैं, उनका मूल केवल एक ही शक्ति है, और ये सब विनष्ट होकर उसी एक में मिल जाते हैं। इससे यह सिद्ध है कि जो वस्तु जिस मूल पदार्थ से उत्पन्न होती है, अन्त में उसी में लीन हो जाती है। उसका नाश नहीं होता। प्रकृति की इस सृष्टि के किसी भी प्राणी का समूलनाश नहीं होता। अर्थात् जिन-जिन तत्त्वों से यह शरीर बना हुआ है, अन्त में वे-वे तत्त्व उसी-उसी तत्त्व में लय हो जाते हैं / जैसे एक वृक्ष को जला देने पर उसके भीतर के पंचतत्त्व अलग-अलग अपने तत्त्व में मिल जाते हैं। ___ मानव शरीर के तत्त्व सृष्टि-रचना में जो द्रव्य काम में लाए जाते हैं, वे ही द्रव्य मनुष्य शरीर-रचना में भी काम आते हैं। सृष्टि दो प्रकार की होती है-१-स्थूल और २-सूक्ष्म / पंच महाभूतों में से जो द्रव्य शरीर में प्रत्यक्ष दीख पड़ते हैं, वे स्थूल हैं और शेष सूक्ष्म हैं। शरीर में पृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश के तत्त्व और उन प्रत्येक के धर्म समाविष्ट हैं; और उन्हीं से पाँचो ज्ञानेन्द्रियाँ और कर्मेन्द्रियाँ अपना-अपना कार्य सुचारु रूप से सम्पादित करती रहती हैं। इन पंच महाभूतों से बने हुए शरीर में कोई एक चेतना
SR No.004288
Book TitleVanaspati Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHanumanprasad Sharma
PublisherMahashakti Sahitya Mandir
Publication Year1933
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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