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________________ ( 5 ). चीन विद्वानों की डालो हुई मत विषयक गुत्थियों के सुझलाने की चेष्टा भी की गई है। काम की वैज्ञानिक एवं आयुर्वेदिक विवेचना भी पठनीय है। कामशास्त्र की व्यापकता, इतिहास, प्राचीनता और वात्स्यायन ऋषि के काल में विद्वानों का मतभेद और उनका ऐतिहासिक निर्णय, गवेषणापूर्ण है। भूमिका में लेखक ने काम शास्त्र की आवश्यकता के सम्पूर्ण अंगों पर पूर्ण प्रकाश डाला है। जो लोग ठगों के कारण कामशास्त्र को एक अश्लील और गंदी पुस्तक बताकर सदैव उसकी निन्दा किया करते हैं, नाम सुनकर घृणा करते हैं; वेही इसे पढ़कर सहर्ष राष्ट्र के भावी कर्णधारों के हाथ में देने को तैयार हो जायँगे। विवाहित दम्पतियों को एकबार इस पुस्तक को मंगाकर अवश्य पढ़ना चाहिए। छपाई-सफाई दर्शनीय ; मोटा ऐंटिक कागज ; सुन्दर बढ़िया जिल्द ; पृष्ठ संख्या 700, मूल्य केवल 4) “ऐसी क्लिष्ट और काम-सम्बन्धी पुस्तक का सुन्दर, सुरुचि. पूर्ण एवं साहित्यिक संस्करण देखकर चित्त प्रसन्न हुआ। पुस्तक में अत्यन्त सुष्टु और संयत भाषा का प्रयोग किया गया है / पुस्तक आधुनिक ज्ञान विस्तार के उपयुक्त है। लेखक का प्रयत्न स्तुत्य एवं प्रशंसनीय है। विश्वास है, विवाहित युवकयुवतियाँ तथा कामशास्त्र के प्रेमो विद्वान पुस्तक का सम्मानकर लेखक का उत्साह बढ़ाएंगे। यही मेरी कामना है।" / -डाक्टर प्राणनाथ, विद्यालंकार, डी० एस-सी०, पी० एच० डी०, एम० आर० ए० एस० (प्रोफेसर काशी हिन्दू-विश्वविद्यालय) सभी पुस्तकों के मिलने का पतामहाशक्ति-साहित्य-मन्दिर, बुलानाला, बनारस सिटी
SR No.004288
Book TitleVanaspati Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHanumanprasad Sharma
PublisherMahashakti Sahitya Mandir
Publication Year1933
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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