________________ ( 2 ) में सुलभ नहीं है। इसमें भोजन क्यों करना चाहिए। श्राहार का परिमाण, भोजन का स्थान और गेहूँ, चना, चावल, जौ, ज्वार, साँवाँ, राई, मसूर, कोदो, कुलथी, उड़द, अरहर और सम्पूर्ण शाक, फल, फूल, मूल, दूध, दही, घी, छाछ; एवं पान, सुपारी, गुड़, चीनी, अदरख, इलायची इत्यादि सम्पूर्ण चीजों का संसार की सभी भाषाओं के नाम, गुण, विवरण और उपयोग के साथ पूरा-पूरा वर्णन दिया गया है। भाषा सरल, सरस, परिमार्जित और बोधगम्य है। छपाई-सफाई बढ़ियो; पृष्ठ-संख्या 400; मूल्य 2) ___ "आहार-विज्ञान नामक पुस्तकमैंने देखी, बड़ी उपयोगी है।" -डा० गंगानाथ झा एम० ए० (वाइस चांसलर,प्रयाग विश्वविद्यालय) सुखी गृहिणी खस्थ माताएँ ही सबल एवं नीरोग सन्तान की जननी हो सकती हैं / किन्तु खास कर स्त्रियों ही के लिए केवल स्वास्थ्यरक्षा सम्बन्धी महत्वपूर्ण बातें बताने वाली हिंदी में कोई अकेली पुस्तक नहीं है / इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सौजन्य, रजोदर्शन, दाम्पत्य-प्रेम, परदाप्रथा, दिनचर्या, स्त्रीरोग, बालरोग; सम्पूर्ण विषयों की विवेचना की गई है। सुन्दर छपाई, मोटा कागज, पृष्ठ-संख्या 184; मूल्य 1) "स्वास्थ्य-रक्षा, पवित्र-चरित्र-निर्माण, और सुखपूर्ण जीवनयापन के जो नियम इस पुरतक में बतलाए गए हैं, वे महत्वपूर्ण हैं / भाषा सरल और सुबोध है। मेरी राय में महिला समाजखासकर नवयुवतियों के लिए यह पुस्तक बहुत उपयोगी है। आशा है, इसका प्रत्येक घर में आदर होगा।"-"माधुरी" (लखनऊ)