________________ वनस्पति-विज्ञान 262 गुण-अग्नेयी तर्षिणी बल्या मन्मथोद्दीपनी चला। . निद्रासंजननी गर्भपातिनी विकाशिनी // वेदनाक्षेपहरणी ज्ञेया च मदकारिणी / -पा० स० गाँजा-पाचक, तृष्णाकारक, बल्य, कामोद्दीपक, मन को चलायमान करनेवाला, निद्राजनक, गर्भपात करनेवाला, विकाशी; वेदना एवं आक्षेप को दूर करनेवाला तथा मदकारक है। विशेष उपयोग (1) अर्श रोग पर-भाँग, दूध के साथ पीसकर लगानी चाहिए। (2) संग्रहणी में-भाँग और सोंठ घी में भूनकर खाएँ। (3) अतीसार में-भाँग, घी के साथ भूनकर तथा मिश्री मिलाकर एक माशा तक खानी चाहिए। (4) मंदाग्नि में-भाँग और कालीमिर्च पीसकर पीएँ / (5) घाव पर-भाँग का पंचांग पीसकर लगाएँ / (6) निद्रा के लिए-भाँग और मिश्री पानी के साथ खाएँ। (7) वातार्श में-भाँग और गेंदा की पत्ती पीसकर बाँधे। (8) गर्भपात के लिए-गाँजा की पोटली गुप्तांग में रखें। (8) स्तम्भन के लिए-गाँजा दो रत्ती मसलकर गुड़ के बीच में रखकर खाना चाहिए। किन्तु इसके ऊपर दूध, घी तथा मिश्री मिलाकर अवश्य पीना चाहिए /