________________ वनस्पति-विज्ञान 260 (13) मृगी में-कूष्मांड के रस में. मुलेठी घिसकर पीना चाहिए। (14) कफ में-मुलेठी के काढ़े में शहद या मिश्री मिलाकर अथवा गोमूत्र में शहद और बहेड़ा घिसकर पीएँ / ___(15) त्रिदोष में-अदरख और तुलसी के रस में मुलेठी घिसकर तथा शहद मिलाकर पीना चाहिए / (16) कफ से दूध-दूषित होने पर-घी में मुलेठी और सेंधानमक घिसकर पिलाना चाहिए और अशोक का फूल पीसकर स्तनों पर एवं बालक के होंठ पर लगाना चाहिए / (17) मूत्रकृच्छ में-मुलेठी का चूर्ण दूध के साथ लें। (18) हृद्रोग में-मुलेठी और कुटकी का चूर्ण गरम जल के साथ लेना चाहिए। (16) विषूचिका में-मुलेठी का काढ़ा पीना चाहिए। (20) रक्तज वमन में-मुलेठी और सफेद चन्दन दूध में घिसकर पीना चाहिए। (21) स्वरभंग में-मुलेठी का चूर्ण, घी और मिश्री के साथ खाना चाहिए। (22) खाँसी में-मुलेठी का चूर्ण मलाई के साथ खाना चाहिए। ... (२३)श्वास में-मुलेठी और अडूसा का काढ़ा पीएँ।