________________ (26) वातव्याधि में-५२ वातार्श में-१६१, 210, 262 वायु की गाँठ पर-८८ वायु में-७९, 164 वायुरोग में-८४, 132, 171 बायु से अंग जकड़ जाने पर-९७ विद्रधि और व्रण पर-२२७ / विरेचन के लिए-८८, 144, 168, 172, 174, 183, 253 : विष-८७ विष पर-२०० विषमज्वर -69 विषमज्वर पर-१२७ विषमज्वर में-८०, 93, 111, 132, 205, 218 विषचिका में-९९, 118, 199, 216, 233, 260 वीर्यवृद्धि के लिए-१२२, 163, 164, 179, 187, 197, 204, 212, 213, 251 वीर्यस्राव और पथरी पर-१५३ वीर्यस्त्राव पर-२५७ शक्तिवर्द्धन के लिए-५२ शरीर की गर्मी पर-१५३ शरीर-पुष्टि के लिए-१७२ शिरा कट जाने पर-२३९ शिरा के कट जाने पर यदि रक्त अधिक निकले, तो--११६ शिरोरोग और ज्वर में-१०१, 103 शिरोरोग में-७३, 112 शीघ्र प्रसव के लिए-७९, 87, 128, 143, 216, 254 "61