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________________ गंगेरन सं० नागबला, हि० गंगेरन, ब० गोरख, म० गांगेटी, क. बट्टगरुके, और लै० सिडास्पमोजा-Sidaspamosa. विशेष विवरण--गंगेरन का वृक्ष सहदेई के समान होता है। किन्तु इसके पत्ते कुछ मोटे तथा दो आनवाले होते हैं / इसका फूल गुलाबी रंग का होता है। इसका फल सहदेई से बड़ा होता है / यह सूखने पर स्वयं ही पाँच भागों में विभक्त हो जाता है / गुण-मधुराम्ला नागबला कषायोष्णा गुरुस्तथा / कटूष्णा कफवातनी व्रणपित्तविनाशिनी ॥-रा० नि० गंगेरन-मधुर, अम्ल, कषैली, उष्ण, भारी, कड़वी, गरम, कफ-वातनाशक तथा व्रण और पित्तनाशक भी है / विशेष उपयोग (1) खुजली पर-गंगेरन की पत्ती का रस लगाना चाहिए। (2) दाह पर-गेरन का चूर्ण शीतल जल के साथ लें। (3) अम्लपित्त पर-गेरन के रस में शहद मिलाकर पीना चाहिए। paa -- कंघी सं० अतिबला, हि० कंघी, म० विकंकती, गु० खपाट्य, क० मुल्लदुरुवे, अँ० 'इंडियन मेलो--Indian Malow, और लै० एन्युटिलन इंडिकम-Abutilon Indicum.
SR No.004288
Book TitleVanaspati Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHanumanprasad Sharma
PublisherMahashakti Sahitya Mandir
Publication Year1933
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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