________________ 218 वनस्पति-विज्ञान विशेष विवरण-सरिवन का क्षुप होता है / एक-एक डंठी. में तीन-तीन पत्तियाँ होती हैं। उन पत्तियों में छोटी-छोटी फलियाँ लगती हैं / यह दो प्रकार का होता है। एक तीन-तीन पत्तीवाला और दूसरा एक-एक पत्तीवाला। गुण-शालिपर्णी रसे तिक्ता गुयृष्णा धातुवर्द्धिका। . रसायनी स्वादु वृष्या विषमज्वरवातहा // मेहाशः शोथसन्तापज्वरश्वासविषकृमीन् / त्रिदोषशोषच्छर्दिनी क्षतकासातिसारहा ॥-नि० 20 सरविन-रस में तीता, भारी, उष्ण, धातुवर्द्धक, रसायन, स्वादिष्ट, वृष्य तथा विषमज्वर, प्रमेह, अर्श, शोथ, सन्ताप, ज्वर, श्वास, विष, कृमि, त्रिदोष, शोष, वमन, क्षत और कासनाशक है। विशेष उपयोग (१)शोथ पर-सरविन पीसकर लगाएँ / (2) विषमज्वर में-सरिवन की पत्ती और कालीमिर्च पीसकर पीना चाहिए। (3) अर्शरोग पर-सरिवन के काढ़े से धोना चाहिए / पिठिवन - सं० पृश्निपर्णी, हि० पिठिवन, ब० चाकुले, म० पीठवण, गु० पृष्टिपर्णी, क० तोरेभोड, तै० कोलाकुपन्न, और लै० उरेरिया लेगोपोइडिस-Uraria Logopoides.