________________ 209 खम्भारी (7) अम्लपित्त पर-पाटला के पत्ते के रस में छः माशे सोंठ और दो तोले मिश्री मिलाकर पीना चाहिए। (8) पित्तविकार में-पाटला के रस में तीन माशे सोंठ का चूर्ण और दो तोले मिश्री मिलाकर पीना चाहिए / __ (8) हैजा और उदरशूल में-पाटला की जड़ शीतल जल के साथ पीसकर पीना चाहिए / w खम्भारी सं० गम्भारी, हि० खम्भारी, ब० गाम्भारी, म०शिवणगम्भारी, गु०, शवन्य, क० सीवनी, तै० साल्लागुंबुटीचेटु, और लै० मीलाइना अखोरिया-Gmelina Arboria. - विशेष विवरण-खम्भारी का वृक्ष बड़ा होता है। इसके पत्ते समुद्रशोष-जैसे; किन्तु पीपल के पत्तों से बड़े होते हैं। इसके फल और फल पीले रंग के होते हैं / इसकी छाल सफेद होती है। गुण-काश्मरी तुवरा तिक्ता वीर्योष्णा मधुरा गुरुः / . . दीपनी पाचनी मेध्या भेदिनी भ्रमशोषजित् // - दोषतृष्णामशूलार्शीविषदाहज्वरापहा ।-शा० नि० खम्भारी-कषैली, तीती, उष्णवीर्य, मधुर, भारी, दीपक, पाचक, मेध्य, भेदिनी, तथा भ्रम, शोष, त्रिदोष, तृषा, आमशूल, अर्श, विष, दाह और ज्वरनाशक है /