________________ 281 करंज गुण-करणः कटुकः पाके नेत्र्योष्णस्तिक्तको रसे। कषायोदावर्त्तवातानां योनिदोषापहः स्मृतः // वातगुल्मार्शव्रणहृत्कण्डूकफविषापहः / विचर्चिकापित्तकृमित्वग्दोषोदरमेहहा // प्लीहाहरश्च संप्रोक्तः फलमुष्णं लघु स्मृतम् / शिरोरुग्वातकफहृत्कृमिकुष्ठार्शमेहनुत् // पर्ण पाके कटूष्णं स्याद्भेदकं पित्तलं लघु / कफवाताशकृमिनुव्रणं शोथं च नाशयेत् // पुष्पमुक्तं चोष्णवीर्य पित्तवातकफापहम् / अस्यांकुरा रसे पाके कटुकाश्चाग्निदीपकाः // पाचकाः कफघातार्शः कुष्टकृमिविषापहाः / शोथनाशकराः प्रोक्ता ऋषिभिः सूक्ष्मदर्शिभिः॥-नि० र० करंज-पाक में कड़वा; नेत्र्य, उष्ण; रस में तीता; कषैला तथा उदावर्त, योनिदोष, वात, गुल्म, अर्थ, व्रण, खुजली, कफ, विष, विचर्चिका, पित्त, कृमि, त्वचादोष, उदररोग, प्रमेह और प्लीहानाशक है। करंज का फल-गरम, हलका तथा शिरोरुजा, वात, कफ, कृमि, कुष्ट, अर्श और प्रमेहनाशक है। करंज का पत्ता-पाक में गरम, उष्ण, भेदक, पित्तल, हलका तथा कफ, वात, अर्श, कृमि, व्रण और शोथनाशक है / करंज का फूल-उष्णवीर्य तथा पित्त, वात और कफनाशक है। करंज का अंकुर-रस और पाक में कड़वा, अग्निदीपक,