________________ 155 शंखाहुली भुंइ आँवला-कषैला, खट्टा, शीवल तथा पित्त, प्रमेह, मूत्रावरोध और दाह विनाशक है / विशेष उपयोग (1) प्रदर में-मुँइ आँवला की जड़ चावल के धोवन के साथ पीस छानकर तथा घी मिलाकर तीन दिनों तक सेवन करनी चाहिए। (2) प्रमेह में-मुँइ आँवला, तज, छोटी इलायची, तमालपत्र और कालीमिर्च समभाग पीसकर सात दिनों तक पीना चाहिए / (3) मूत्रकृच्छ में-मुँइ आँवला और जवाखार पानी के साथ पीस-छानकर पीना चाहिए। (4) दाह पर-मुँइ आँवला पीसकर लगाएँ / (5) पित्तविकार में-मुँइ आँवला का रस, शहद मिलाकर पीना चाहिए। शंखाहुली सं० शंखपुष्पी, हि० शंखाहुली, ब० डानकुनी, म० शंखावली, गु० शंखावली, क. शंखपुष्पी, और लै० ई० हर्सटस्E. Hirsutus, विशेष विवरण-शंखाहुली का छत्ता प्रायः ऊसर भूमि में विशेष होता है / इसके पत्ते प्रायः धूसर रंग के होते हैं / पत्ते