________________ वनस्पति-विज्ञान 212 (13) योनि की दाह पर-आँवला. के रस में मिश्री मिलाकर पीना चाहिए। (14) प्रमेह में-आँवला के पत्ते का रस और मट्ठा एक साथ मिलाकर पीना चाहिए / (15) वीर्यवृद्धि के लिए-आँवला का रस और घी मिलाकर पीना चाहिए। (16) सौन्दर्यवृद्धि के लिए-आँवला और असगंध का चूर्ण समभाग, विषमभाग घी और शहद के साथ जाड़े में सेवन करना चाहिए। ___ (17) सिर-दर्द पर-आँवला का चूर्ण, घी और मिश्री मिलाकर प्रतिदिन प्रातःकाल सेवन करना चाहिए / (18) पित्तज-शूल में-आँवला का चूर्ण शहद के साथ सेवन करना चाहिए। (16) मूर्छा में-आँवला के रस में घी मिलाकर सेवन करना चाहिए। (20) रक्तातीसार में-आँवला के रस में शहद, घी और दूध मिलाकर सेवन करना चाहिए। (21) धातुपुष्टि के लिए-आँवला और गोखरू का चूर्ण दो-दो माशे, गिलोय का सत एक माशा, घी और मिश्री मिलाकर प्रतिदिन प्रातःकाल सेवन करना चाहिए /