________________ 105 गदहपूर्णा कफ पर-गदहपूर्णा, नीम, कड़वा परवल, सोंठ, कुटकी, दारुहल्दी, गुरिच और छोटी हर्र का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। (18 ) कुत्ते का विष-सफेद गदहपूर्ण का रस पीने से नष्ट होता है। (16) सर्वांगशोथ में-गदहपूर्णा, कुटकी, चिरायता और सोंठ का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए / (20) शोथ पर-पुनर्नवादिघृत देना चाहिए / (21) कामला, पाण्डु, हलीमक, श्वास, उदर, जीर्णज्वर और मलरोगादिकों पर-पुनर्नवादि तेल लगाएँ / (22) मन्दाग्नि में-दहपूर्णा का शाक खाना चाहिए / ( 23 ) उदर-शूल, गुल्म और प्लीह रोग में-गदहपर्ण का शाक, मूंग की दाल में पकाकर खाना; अथवा पत्तों के रस में सेंधानमक मिलाकर पीना चाहिए। (24) शोथ पर-गदहपूर्णा का शाक उबालकर खाएँ तथा उसके पत्तों के रस में लोहे का मुर्चा घिसकर लेप करें।