________________ वनस्पति-विज्ञान 104 ... (8) विच्छू का विष-सफेद गदहपूर्णा की जड़ रविवार के दिन लाकर रखें। आवश्यकतानुसार उसे खूब चबाकर खाने से अथवा घिसकर लगाने से नष्ट हो जाता है / (10) दन्तरोग में-गदहपूर्णा की जड़, पठानी लोध की छाल और फिटकिरी का काढ़ा करके कुल्ला करना चाहिए / (11) अन्तर्विद्रधि में-गदहपूर्ण की जड़ और वरुना की छाल का काढ़ा करके पीना चाहिए। . (12) अम्लपित्त में-सफेद गदहपूर्णा की जड़ को खूब चबाकर प्रतिदिन प्रातःकाल खाना चाहिए। उसके बाद चौदहदिन तक दोपहर के समय कुछ न खाना चाहिए / (13) चौथिया ज्वर में-सफेद गदहपूर्णा की जड़, दूध में पीसकर पीना; अथवा पान में रखकर खाना चाहिए / (14) शोथ-गदहपूर्ण, देवदारु, सोंठ और खस का काढ़ा बनाकर और गोमूत्र मिलाकर पीने के नष्ट होता है / (15) गुल्म और जलोदर पर-सफेद गदहपूर्णा की जड़ और सेंधानमक का चूर्ण घी में मिलाकर गुल्म पर और शहद में मिलाकर जलोदर पर देना चाहिए। (16) आँखों के जाला पर-सफेद गदहपूर्णा की जड़ रविवार को लाकर धूप देकर कानों में बाँधना चाहिए / (17) सर्वांगशोथ, उदर, पाण्डु, स्थूलता और