________________ वनस्पति-विज्ञान (7) खाँसी में काले धतूरा के पंचाग का धुवाँ सूघना चाहिए। गूलर स० उदुम्बर, हि० गूलर, ब० यज्ञडमु, म० उम्बरो, क० / अत्ति, तै० वाडु चेटु, फा० अंजीरे आदम, अ० जमीझ, अँ. कुष्टर फिग-Cluster Fig, और लै० फाइकस ग्लोमिरेटा --Ficus Glomerata. विशेष विवरण-इसका पेड़ बड़-पीपर की भाँति बड़ा होता है / इसकी डाल और पेड़ी से एक प्रकार का दूध निकलता है। इसके पत्ते महुआ के पत्ते-जैसे होते हैं। पेड़ी और जड़ की छाल ऊपर सफेदी और भीतर ललाई लिए होती है / अश्वत्थ वर्ग के और वृक्षों के समान इसके सूक्ष्म फूल भी अन्तर्मुख, अर्थात् एक कोश के भीतर बन्द रहते हैं। पुरुष-पुष्प और स्त्री-पुष्प के कोश अलग-अलग होते हैं / गर्भाधान कीड़ों की सहायता से होता है। पुरुष-केसर की वृद्धि के साथ-साथ एक प्रकार के कीड़ों की उत्पत्ति होती है। जो पुरुष-पराग को गर्भ-केसर में ले जाते हैं। यह नहीं जाना जाता कि ये कीड़े किस प्रकार पराग ले जाते हैं। परन्तु यह निश्चय है कि वे ले अवश्य जाते हैं / उसी से गर्भाधान होता है, तथा कोश बढ़कर फल के रूप में हो जाता है / यह एक