________________ सतावर (3) शूल में सतावर के रस में शहद मिलाकर पीएँ / (4) कुत्ता का विष और पथरी में-सतावर का रस और गाय का दूध मिलाकर पीना चाहिए। (5) ज्वर-सतावर के रस में गाय का दूध और जीरा का चूर्ण मिलाकर पीने से नष्ट होता है। (6) पित्त प्रदर-सतावर के रस में शहद मिलाकर पीने से नष्ट होता है। (7) धातु-पुष्टि और वृद्धि के लिए दूध में एक तोला सतावर का चूर्ण और मिश्री मिलाकर पीना चाहिए। (8) अपस्मार में-एकतोला सतावर दूध के साथ पीएँ। (8) वातज्वर में-सतावर और गुरिच का रस पीएँ। (10) रक्तशुद्धि के लिए-सतावर के नीले भाग को लेकर उसका रेशा निकालकर और पीसकर बीस तोले में आठ सेर पानी डालकर पकाना चाहिए। एक सेर बाकी रहने पर केसर, जायफल, जावित्री, छोटी इलायची और लौंग छोड़कर रख लेना चाहिए। एक तोला से दो तोले तक दूध के साथ मिलाकर प्रतिदिन दो बार बयालिसं दिनों तक सेवन करना चाहिए। (11) रक्तातीसार-सतावर के रस में चीनी मिलाकर पीना चाहिए। अथवा सतावर का रस और घी एक साथ पकाकर पीना चाहिए। अथवा सतावर दूध के साथ पीसकर पीएँ।