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________________ प्रस्तुत प्रकाशन के अर्थ सहयोगी धर्मपरायण शिक्षाप्रेमी श्री धनराज जी बाँठिया जीवनवृत्त : श्री धनराजजी बाँठिया, चुरू निवासी श्री मोहनलालजी बाँठिया के ज्येष्ठ पुत्र थे। आप बचपन से ही परिश्रमी, कुशाग्रबुद्धि, धर्मपरायण एवं मिलनसार थे / किशोरावस्था से ही आप कपड़े के व्यवसाय में संलग्न हो गये / प्रारम्भ में आप बम्बई में कपड़े की आढ़त एवं थोक व्यापार करते थे। सन् 1962 में 'बाम्बे डाइंग' जैसी ख्यातिप्राप्त कपड़े के मिल की आपको एजेन्सी प्राप्त हो गई एवं आपने अपनी लगन, अध्यवसाय, व्यावसायिक कुशलता तथा कठोर परिश्रम से कपड़े के व्यापारियों में प्रमुख स्थान प्राप्त कर लिया / कलकत्ता में भी आपका अग्रणी स्थान रहा है / सन् 1942 में संस्थापित ‘हणुतमल रावतमल' फर्म ने कपड़े के व्यवसाय में जो सफलता प्राप्त की वह आपकी अप्रतिम कुशलता, दूरदर्शिता एवं प्रतिभा का ही परिणाम है / सन् 1968 में आपके मार्गदर्शन में कपड़े का निर्यात प्रारम्भ हुआ जो आज अपनी चरम सीमा पर है। श्री धनराजजी बाँठिया एक सफल व्यवसायी के साथ-साथ शिक्षाप्रेमी, उदार एवं 'धर्मनिष्ठ व्यक्ति थे / आप अनेक वर्षों तक मारवाड़ी कामर्शियल हाईस्कूल, बम्बई के मानदमंत्री एवं अध्यक्ष रहे हैं / अड़तालीस वर्ष की अल्पायु में आपके आकस्मिक स्वर्गवास से समाज एवं व्यवसाय जगत् की अपूरणीय क्षति हुई है / आपके तीन सुपुत्र श्री निर्मलकुमार, श्री राजेन्द्र कुमार एवं श्री सुरेन्द्र कुमार तथा श्रीमती पुष्पादेवी सेठिया तथा श्रीमती प्रमिला कांकरिया दो सुपुत्रियां हैं / श्री निर्मलकुमार लन्दन में रहते हैं एवं कपड़े के आयात-निर्यात का व्यवसाय करते हैं / श्री राजेन्द्र कुमार बम्बई में रहते हैं एवं शेयर स्टाक एक्सचेंज के निदेशक मंडल में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं / शेयर के व्यवसाय में आप सिद्धहस्त हैं / श्री सुरेन्द्र कुमार कलकत्ता में कपड़े का व्यवसाय करते हैं / आप निर्यात भी करते हैं / तीनों सुपुत्र अत्यन्त उदार, समाजसेवी, शिक्षाप्रेमी, युवा तथा उत्साही कार्यकर्ता हैं /
SR No.004282
Book TitlePrakirnak Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Suresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1995
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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