________________ प्रकीर्णक और प्रवचनसारोद्धार : 197 मत्तंमएसु मज्जं सुहवेज्जं भायणाई भिंगेसु / तुडियंगेसु य संगयतुडियाइं बहुप्पगाराइं // (तित्थोगालीपइण्णयं, गाथा 47) मत्तंगएसु मज्जं सुहपेज्जं भायणाणि भिंगेसु / तुडियंगेसु य संगयतुडियाइं बहुप्पगाराइं / / __ (प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1/1068) मणियंगेसु य भूसणवराई भवणाई भवणरूवेसु / आइण्णेसु य धणियं वत्थाई बहुप्पगाराइं // (तित्थोगालीपइण्णयं, गाथा 49) मणियंगेसु य भूसणवराई भवणाइ भवणरुक्खेसु / तह अणियणेसु य धणियं वत्थाई बहुप्पयाराइं // (प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1/1070) सुसमसुसमा य एसा समासओ वनिया मणूसाणं / उवभोगविहिसमग्गा सुसमा एत्तो परं वोच्छं / / . (तित्थोगालीपइण्णयं, गाथा 54 ) सुसमसुसमा य सुसमा तइया पुण सुसमदुस्समा होइ / दूसमसुसम चउत्थी दूसम अइदूसमा छट्ठी // (प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1/1034) पुवस्स उ परिमाणं सयरिं खलु होंति कोडिलक्खा उ / छप्पत्रं च सहस्सा बोधव्वा वासकोडीणं / / (तित्थोगालीपइण्णयं, गाथा 82) पुवरस उ परिमाणं सयरिं खल वासकोडिलक्खाओ / छप्पनं च सहस्सा बोद्भव्वा वासकोडीणं // . (प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1/1387) बत्तीसं घरयाइं काउं तिरियाऽऽययाहि रेहाहिं / उड्डाययाहि काउं पंच घराइं तओ पढमे || (तित्थोगालीपइण्णयं, गाथा 360) बत्तीसं घरयाइं काउं तिरियाअयाहि रेहाहिं / उड्डाययाहिं काउं पंच घराइ ताओ पढमे / / (प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1/406) उग्गाणं भोगाणं राइण्णाणं च खत्तियाणं च / चउहिं. सहस्सेहिं उसभो, सेसा उ सहस्सपरिवारा / / (तित्थोगालीपइण्णयं, गाथा 395 )