________________ प्रकीर्णक और शौरसेनी आगम साहित्य : 119 पुट्विं कारियज़ोगो समाहिकामो य मरणकालम्मि / भवइ य परीसहसहो विसयसहनिवारिओ अप्पा / / (चंदावेज्झयंपइण्णयं, गाथा 120) पुव्वं कारिदजोगो समाधिकामो तहा मरणकाले / होदि परीसहसहो विसयसुहपरम्मुहो जीवो / / (भगवती आराधना, गाथा 195) इंदियसुहसाउलओ घोरपरीसहपरव्वसविउत्तो / अकयपरिकम्म कीवो मुज्झइ आराहणाकाले / / ___(चंदावेज्झयंपइण्णय, गाथा 125) इंदियसुहसाउलओ घोरपरीसहपराजिय परज्झो / अकदपरियम्म कीओ मुज्झदि आराहणाकाले // (भगवती आराधना, गाथा 94 ) तम्हा चंदगवेज्झस्स कारणा अप्पमाइणा निच्चं / अविरहियगुणो अप्पा कायव्वो मोक्खमग्गम्मि / / - (चंदावेज्झयंपइण्णयं, गाथा 130) तह्मा चंदयवेज्झस्स कारणेण उज्जदेण पुरिसेण / जीवो अविरहिदगुणो कादब्वो मोक्खमग्गम्मि / / (मूलाचार, गाथा 85) एगो मे सासओ अप्पा नाण-दसणसंजुओ / सेसा मे बाहिरा भावा सव्वे संजोगलक्खणा || (चंदावेज्झयंपइण्णयं, गाथा 160) एओ मे सस्सओ अप्पा नाणदंसणलक्खणो / सेसा मे बाहिरा भावा सव्वे संजोगलक्खणा / / - (मूलाचार, गाथा 48). एगो मे सासदो अप्पा णाणदंसणलक्खणा / सेसा मे बाहिरा भावा सव्वे संजोगलक्खणा / / (नियमसार, गाथा 102) एगो मे सस्सदो आदा णाणदंसणलक्खणो / सेसा मे बाहिरा भावा सव्वे संजोगलक्खणा / / ( भावपाहुड, गाथा 59) .. जह सुकुसलो वि वेज्जो अन्नस्स कहेइअप्पणो वाहिं / सो से करइ तिगिच्छं साहू वि तहा गुरूसगासे || . (चंदावेज्झयंपइण्णयं, गाथा 172)