________________ 21. जैन, कमल (डॉ.) प्राचीन जैन साहित्य में आर्थिक जीवन एक अध्ययन, पृ.-18 22. आचारांग 2/10/310 23. कौटिलीय अर्थशास्त्र 2/1/19 एवं 4/1/46 . 24. वसुदेवहिण्डी भाग 1 25. ज्ञाताधर्मकथांग 13/15 26. टण्डन, वीरेन्द्र, अर्थशास्त्र के सिद्धान्त, पृ.-168 27. प्रश्नव्याकरण 10/3, बहत्कल्प भाष्य 3/2203 28. देखें, आवश्यक सूत्र में प्रथम और चतुर्थ व्रतों के अतिचार।। 29. महाप्रज्ञ, आचार्य, श्रमण महावीर, प्रथम अध्याय, प.-4 30. ज्ञाताधर्मकथांग 1/59 31. व्यवहार भाष्य 6/208 32. महाप्रज्ञ, आचार्य, श्रमण महावीर' में वर्धमान के वैराग्य का निमित्त / पष्ठ 16 33. निशीथ चूर्णि 9/3 34. वसुदेवहिण्डी 2/264 35. कम्मुणा बंभणो होइ, कम्मुणा होइ खत्तिओ। वइस्से कम्मुणा होइ, सुद्दो हवइ कम्मुणा। - उत्तराध्ययन 25/33, पउमचरिउं 2/103, 115, 117 36. कौटिलीय अर्थशास्त्र 1/3/1, मनुस्मति 1/89-90 37. नन्दी सूत्र 53 38. उपासकदशांग 1/4, विपाक सूत्र 8/6, व्यख्याप्रज्ञप्ति 9/33/1 39. आत्मारामजी, आचार्य सम्पादित उपासकदशांग प. 366-367 40. उपासकदशांग 1/2-28 41. प्रश्नव्याकरण 10/3, उत्तराध्ययन 3/17 (64)