________________ तत्कालीन लोक-जीवन, राज और समाज व्यवस्था का पता चलता है। प्रो. विण्टरनित्ज के अनुसार ये पाँचों उपांग निरयावलिका सूत्र के नाम से ही कहे जाते थे, लेकिन आगे चलकर उपांगों की संख्या का अंगों की संख्या के साथ साम्य करने के लिए इन्हें अलग-अलग गिना जाने लगा