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________________ सन्दर्भ 1. जलज, जयकुमार (डॉ.) भगवान महावीर का बुनियादी चिन्तन, पृ.-17 2. शास्त्री, नेमीचन्द्र (डॉ.) भारतीय संस्कृति के इतिहास में जैन वांगमय का अवदान (द्वितीय खण्ड)' पृ.-107 3. शर्मा, कालूराम (डॉ.) प्राचीन भारत का इतिहास' पृ.-224 से 226 4. महाप्रज्ञ, आचार्य - महावीर का अर्थशास्त्र' पृ.-16 वैद्य, हरिदास 'अकूमंदी का खजाना' प्रथम 'चाणक्य-नीति' अध्याय। 6. चाणक्य सूत्र 1 से 6 तक एवं देखें 'महावीर का अर्थशास्त्र' पृ.-16 सेठी, बिरधीलाल, 'अण्डा, मांस, मछली, धीरे-धीरे मारने वाले जहर है' (प्रकाशक - चाँदबाई सेठी पारमार्थिक ट्रस्ट, जयपुर) पृ.-4 पर लिखा - "चन्द्रगुप्त मौर्य, विक्रमादित्य, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी कट्टर शाकाहारी थे।" महाराणा प्रताप के परम सहयोगी भामाशाह जैन श्रावक थे। राजस्थान पत्रिका 24-11-2001 के बुधवारीय परिवार परिशिष्ट' में 'मन्त्र दिवाकर' ग्रन्थ के सन्दर्भ से लिखा कि एक जैन मुनि की प्रेरणा से महाराणा प्रताप ने संकट के समय में भगवान पार्श्वनाथ की उपासना की और संकट-मुक्त हुए। 8. शास्त्री, नेमीचन्द्र (डॉ.) 'भारतीय संस्कृति के इतिहास में जैन वांगमय का अवदान (द्वितीय खण्ड)' पृ.-108 पर आधारित। 1. ओशो रजनीश भी इस विचार से पूर्ण सहमत रहे। .10. जैन, जगदीश चन्द्र (डॉ.) 'प्राकृत साहित्य का इतिहास' तीसरा और चौथा अध्याय। 11. जैन, जगदीश चन्द्र (डॉ.) 'प्राकृत साहित्य का इतिहास' पृ.-2 ___ 12. जैन शिलालेख संग्रह द्वितीय भाग, अभिलेख संख्या 277 डॉ. नेमीचन्द्र ... शास्त्री के तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा' पृ.-341 .. 13. भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द 'भारतीय इतिहास कोश' (1967) पृ.-256 (331)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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