________________ सन्दर्भ 1. नगराज, मुनि 'अहिंसा पर्यवेक्षण' प्रथम अध्याय। देखें - 'एंशेंट इण्डिया' - मजूमदार, राय चौधरी और के.के. दत्ता तथा 'दि रिलिजन ऑफ अहिंसा' - प्रो. ए. चक्रवर्ती। 2. आचारांग सूत्र 1.4.1 3. अहिंसा निउणा दिट्ठा सव्व भूएसु संजमो - दशवैकालिक सूत्र 6/9 4.. प्रश्नव्याकरण सूत्र 2/1/21-22 भगवती आराधना 790 प्रश्नव्याकरण सूत्र 1/21 7. नगराज, मुनि अहिंसा पर्यवेक्षण' प. - 11 एवं देखें - 'दि रिलिजन ऑफ अहिंसा' - प्रो. ए. चक्रवर्ती प. - 14 8. उत्तराध्ययन 22वाँ अध्ययन 9. स्थानांग सूत्र 4 10. जैन, नेमीचन्द (डॉ.) अहिंसा का अर्थशास्त्र पृ.-5 11. 'शाकाहार क्रान्ति' (मासिक) जनवरी 2001 अ.भा. मांस निर्यात निरोध परिषद्, इन्दौर द्वारा प्रकाशित पुस्तिका "महाप्रलय निश्चित" के पृ.-7 पर उद्धृत। / 13. 'शाकाहार क्रान्ति', इन्दौर, जनवरी 2001 14. जैन, नेमीचन्द (डॉ.) 'शाकाहार : 100 तथ्य' 99वाँ तथ्य। 15. 'शाकाहार क्रान्ति' जनवरी 2001 के अंक के आवरण पृ.-3 प्रकाशित। 16. जैन, नेमीचन्द (डॉ.) 'शाकाहार मानव सभ्यता की सुबह' पृ. 80-81. प्रो. सागरमल ने 'अहिंसा की प्रासंगिकता' पुस्तक के अन्तिम अध्याय में शाकाहार के अर्थशास्त्र पर विमर्श किया है। अर्थशास्त्री डॉ. भरत झुनझुनवाला ने राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित अपने आलेख 'पर्यावरण की समस्या का मूल कारण' में यह विचार प्रकट किया। (292)