________________ औधोपान्त पठन करना चाहिए। जैन आगम आत्म संयम, साधना एवं कर्मनिर्जरा पर बल देते है। यह सत्य है लेकिन डा. दिलीप धींग ने अपनी शोध के माध्यम से यह सिद्ध कर दिया है कि व्यावहारिक (संस्कार) क्रियाओं के सम्पादन में भी जैन आगमों में वर्णित नियम व उपनियम हमारे निजी एवं सामाजिक आर्थिक कल्याण में अभिवृद्धि करने में सहायक हो सकते हैं। जयपुर सी.एस.बरला (xxvii)