________________ देखते हुए इसे सबसे बड़ा व्रत तथा व्रत-शिरोमणि कहा है। भगवान महावीर कहते हैं - 'असंविभागो न हु तस्स मोक्खो' जो अपने धन व साधनों का संविभाग नहीं करता है, वह मुक्त नहीं हो सकता। बारह व्रतों की प्रेरणाओं को सार रूप में निम्न प्रकार से व्यक्त कर सकते 1. अहिंसा अणुव्रत से निर्दोष प्राणियों को बचाया जाता है। 2. सत्याणुव्रत से समभाव और निष्पक्षता की प्राप्ति होती है। 3. अस्तेय से उपार्जित वस्तुओं के उपयोग का नियम बनता है। 4. ब्रह्मचर्य से सबके प्रति आत्मवत् की भावना जागृत होती है। 5. अपरिग्रह से संचित वस्तुओं का संयमन होता है। . 6. दिशा-परिमाण दिन-रात की दौड़-धूप से बचाता है और गमनागमन को ____ मर्यादित करता है। 7. उपभोग-परिभोग परिमाण व्रत सादगी और सरलता का पोषण करता है। 8. अनर्थदण्ड विरमण-व्रत व्यक्ति को वस्तुओं के उपयोग का विवेक प्रदान ___करता है और उसे उपयोगिता के मापदण्ड प्रदान करता है। 9. सामायिक व्रत अनुकूल-प्रतिकूल वातावरण में समभाव स्थापित करता है। 10. देश मर्यादा में सूक्ष्म से सूक्ष्म प्राणियों का संरक्षण किया जाता है। 11. पौषध के नियम से आत्म-शक्ति में अभिवृद्धि होती है। 12. अतिथि संविभाग विश्व-बन्धुत्व का पाठ पढ़ाता है। इस प्रकार गृहस्थाचार (अणुव्रतों) के माध्यम से आगम-ग्रन्थों में उत्तम नागरिक संहिता बताई गई है, जो व्यक्ति व समाज तथा राष्ट्र व विश्व को सुखी व समृद्ध बनाती है। व्यावसायिक नीतिशास्त्र के लिए अणुव्रत प्रेरक दस्तावेज है। (206)