________________ 43. पण्डार जातक 2/128, 5/75 44. औपपातिक सूत्र 32 के संयम-पोत के वर्णन में इन प्रतीकों का उदाहरण दिया गया है। 45. ज्ञाताधर्मकथांग 8वाँ व 17वाँ अध्ययन। 46. राजप्रश्नीय सूत्र 4 47.. भारद्वाज, एस. के. (डॉ.) का लेख 'प्राचीन भारत में विमान विद्या' जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, पृ.-6। 48. धर्मकथानुयोग में अर्थ-कथाएँ भी मिलती हैं अथवा उपयोगी आर्थिक सन्दर्भ प्राप्त होते हैं। उपाध्याय कन्हैयालाल 'कमल' ने चारों अनुयोगों पर ऐतिहासिक कार्य किया, जिसमें धर्मकथानुयोग भी है। कथा साहित्य पर डॉ. जगदीश चन्द्र जैन की 'दो हजार वर्ष पुरानी कहानियाँ' तथा 'जैन कथा साहित्य विविध रूपों में', डॉ. प्रेम सुमन जैन की 'अहिंसा की कथाएँ', 'प्राकृत कथा साहित्य परिशीलन', उपाध्याय पुष्कर मुनि की 'जैन कथाएँ' (111 भाग) प्रवर्तक रमेश मुनि की 'प्रताप कथा कौमुदी' आदि पुस्तकें द्रष्टव्य। 49. शास्त्री, इन्द्रचन्द्र (डॉ.) उपासकदशांग सूत्र (व्याख्याकार-आचार्य आत्मारामजी) में प्रस्तावना पृष्ठ-13 (173)