________________ सन्दर्भ 1. जैन, के.सी., लॉर्ड महावीर एंड हिज टाइम्स, प.-306 2. कनिंघम, ए., कॉइंस ऑफ एंशेंट इण्डिया प.-43 3. विनय विजय, उपाध्याय, भारतीय सिक्के, प.-6 सूत्रकृतांग, 1/2/7/3, उत्तराध्ययन 8.17 उपासकदशांग, ज्ञाताधर्मकथांग प्रथम अध्ययन तथा निशीथ सूत्र 5.35 उत्तराध्ययन 8वाँ अध्ययन और प्राचीन भारतीय मुद्राएँ, प.-10 7. भण्डारकर (डॉ.) ऐंशिएंट इंडियन न्यूमिस्मेटिक्स प.-63 8. उत्थ-दीणार-मालिय-विरइएणं - कल्पसूत्र 38 9. जैन, जगदीश चन्द्र (डॉ.) जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, प.-188 10. निशीथचूर्णि 3.4316 11. उत्तराध्ययन चूर्णि 4/119 12. आवश्यकचूर्णि भाग 2 13. दशवैकालिकचूर्णि प.-42 14. उत्तराध्ययन 20/42 (कूडकहावणे) एवं 8/17 15. प्रश्नव्याकरण 2/3 16. कौटिलीय अर्थशास्त्र 4/1/76 17. बहत्कल्पभाष्य 2.1969 18. निशीथचूर्णि 3.3070 19: आत्माराम, आचार्य, श्री उपासकदशांग सूत्रम्, परिशिष्ट, पष्ठ-394 20. शास्त्री, नेमिचन्द्र (डॉ.) भारतीय संस्कृति के विकास में जैन वाङ्मय का अवदान' खण्ड द्वितीय अध्याय बारहवाँ / 21. बहत्कल्पभाष्य 4.3891-92 एवं निशीथचूर्णि 2.959 (75)