________________ मृच्छकटिकम् (गाथा संग्रह) 97 झाणज्झणन्तबहुभूषणशद्दमिश्शं कि दोवदी विअ पलाअशि लामभीदा / एशे हलामि शहशत्ति जधा हणूमे विश्शावशुश्श वहिणिं विअ तं शुभदं // 5 // लामेहि अ लाअवल्लहं तो क्खाहिशि मच्छमंशकं / एदे हिं मच्छमंशकेहिं शुणआ मलअंण शेवन्ति // 6 // अम्हेहि चण्डं अहिशालिअन्ती वणे शिआली विअकुक्कुलेहिं / पलाशि शिग्धं तुलिदं शवेगं शवेण्टणं मे हल हलन्ती // 7 // किं भीमशेणे जमदग्गिपुत्ते कुन्तीशुदे वा दशकन्धले वा / एशे हगे गेण्हिअ केशहत्थे दुश्शाशणश्शाणुकिदिं कलेमि / / 8 // अशी शुतिक्खे, बलिदे अ मत्थके, कप्पेम शीशं उद मालएम वा। अलं तवेदेण पलाइडेण मुमुक्खु जे होदि, ण शे क्खु जीअदि // 9 // अन्धआले पलाअन्ती मल्लगन्धेण शूहदा / केशविन्दे पलामिट्टा चाणक्केणेब्व दोवदी // 10 // एशाशि वाशू ! शिलशिग्गहीदा केशेशु बालेशु शिलोलुहेशु / अक्कोश विक्कोश लवाहिचण्डं शम्भुं शिवं शंकलमीशलं वा // 11 // मा दुग्गदोत्ति परिहवो णत्थि कअन्तस्स दुग्गदो णाम / चारित्तेण विहीणो अडढो विअ दग्गदो होड // 12 // शले विक्किन्ते पण्डवे घशेदकेद पुत्ते लाधाए छलावणे इन्द्रपुत्ते / आहो कुन्तीए तेण लामेण जादे अश्शत्थामे धम्मपुत्ते लडाऊ // 13 // कक्कालुका गोच्छड़-लित्तवेण्टा, शाके अ शुक्खेतलिदे हु मांशे / भत्ते अ हेमन्तिअ-लत्ति शिद्धे लीणे अवेले ण ह होदि पूदी / / 14 / / णिव्वक्कलं मूलकपेशिवण्णं खन्धेण घेत्तूण अ कोशशुत्तं / कुक्केहि कुक्कीहि अ वुक्कअन्ते जधा शिआले शलणं पलामि // 15 //