________________ कुवलयमालाकहा उज्जोयणसूरिविरइया 1. पढमं णमह जिणिंदं जाए णच्चंति जम्मि देवीओ। उव्वेल्लिर-बाहु-लया-रणंत-मणि-वलय-तालेहिं।। 3. पुरिस-कर-धरिय-कोमल-णलिणी-दल-जल-तरंग-रंगत। णिव्वत्त-राय-मज्जण-बिंब जेणप्पणो दिद। वसिउं चिरं कुलहरे कला-कलाव-सहिया णरिंदेसु। धूय व्व जस्स लच्छी अज्ज वि य सयंवरा भमइ।। जेण कओ गुरु-गुरुणा गिरि-वर-गुरु-णियम-गहण-समयम्मि। स-हरिस-हरि-वासद्धंत-भसणो केस-पब्भारो।। 6. तव-तविय-पाव-कलिणो णाणुप्पत्तीए जस्स सुर-णिवहा। संसार-णीर-णाहं तरिय त्ति पणच्चिरे तुट्ठा। जस्स य तित्थारंभे तियस-वइत्तण-विमुक्क-माहप्पा। कर-कमल-मउलि-सोहा चलणेसु णमंति सुर-वइणो। तं पढम-पुहइ-पालं पढम-पवत्तिय-सुधम्म-वर-चक्कं। णिव्वाण-गमण-इंदं पढमं पणमह मुणि-गणिंदं। अहवा। 9. उब्भिण्ण-चूय-मंजरि-रय-मारुय-विलुलियंबरा भणइ। माहव-सिरी स-हरिसं कोइल-कुल-मंजुलालावा।।