________________ भगवती आराधना आचार्य शिवार्य विरचित 1. सिद्धे जयप्पसिद्धे चउब्विहाराहणाफलं पत्ते / वंदित्ता अरहते वोच्छं आराहणं कमसो // 1 // 2. उज्जोवणमुज्जवणं णिव्वहणं साहणं च णिच्छरणं / दंसणणाणचरित्ततवाणमाराहणा भणिया // 2 // 3. दुविहा पुण जिणवयणे भणिया आराहणा समासेण / .. सम्मत्तम्मि य पढमा विदिया य हवे चरितमि // 3 // 4. दंसणमाराहतेण णाणमाराहियं हवे णियमा / णाणं आराहतेण दंसणं होइ भयणिज्जं // 4 // सुद्धणया पुण णाणं मिच्छादिट्ठिस्स वेंति अण्णाणं / तम्हा मिच्छादिट्ठी णाणस्साराहओ णेव // 5 // 6. संजममाराहंतेण तओ आराहिओ हवे णियमा / आराहतेण तवं चारित्तं होइ भयणिज्जं // 6 // 7. सम्मादिस्सि वि अविरदस्स ण तवो महागुणो होदि / होदि हु हत्थिण्हाणं चुंदच्चुदकम्म तं तस्स // 7 //