________________ 44 प्राकृत पाठ-चयनिका तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए कोडुम्बियपुरिसे सद्दावेइ, 2 त्ता एवं वयासी। "खिप्यामेव, भो देवाणुप्पिया, लहुकरणजुत्तजोइयं समखुरवालिहाणसमलिहियसिङ्गएहिं जम्बूणयामयकला- वजोत्तपइविसिट्ठएहिं रययामयघण्टसुत्तरज्जुगवरकञ्चणखइयनत्थापग्गहोग्गहियएहिं नीलुप्पलकया-मेल्लएहिं पवरगोणजुवाणएहिं नाणामणिकणगघण्टियाजालपरिगयं सुजायजुगजुत्तउज्जुगपसत्थ-सुविरइयनिम्मियं पवरलक्खणोववेयं जुत्तामेव धम्मियं जाणप्पवरं उवट्ठवेह, 2 त्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह // 206 // तए णं ते कोडुम्बियपुरिसा जाव पच्चप्पिणन्ति // 207 // तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया ण्हाया जाव पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाई जाव अप्पमहग्या-भरणालंकियसरीरा चेडियाचक्कवालपरिकिण्णा धम्मियं / जाणप्पवरं दुरुहइ, 2 त्ता पोलासपुर नगरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ, 2 त्ता , जेणेव सहस्सम्बवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ, 2 त्ता धम्मियाओ जाणाओ पच्चोरुहइ, 2 त्ता चेडियाचक्कवालपरिवुडा जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, २त्ता तिक्खुत्तो जाव वन्दइ नमसइ, 2 त्ता नच्चासन्ने नाइदूरे जाव पञ्जलिउडा ठिइया चेव पज्जुवासइ // 208 // तए णं समणे भगवं महावीरे अग्गिमित्ताए तीसे य जाव धम्मं कहेइ // 209 // तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठा समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ, 2 त्ता एवं वयासी। “सद्दहामि णं, भन्ते, निग्गन्थं पावयणं जाव से जहेयं तुब्मे वयह। जहा णं देवाणुप्पियाणं अन्तिए बहवे उग्गा भोगा जाव पव्वइया, नो खलु अहं तहा संचाएमि देवाणुप्पियाणं अन्तिए मुण्डा भवित्ता जाव। अहं णं देवाणुप्पियाणं अन्तिए पञ्चाणुवइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवज्जिस्सामि। . अहासुहं, देवाणुप्पिया, मा पडिबन्धं करेह" // 210 // तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए पञ्चाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवाल सविहं सावगधम्म पडिवज्जइ, 2 त्ता