________________ 18 ] प्राकृत पाठ-चयनिका 8. निसन्ते सियामुहरी बुद्धाणम् अन्तिए सया / अट्ठजुत्ताणि सिक्खिज्जा निरट्ठाणि उ वज्जए // 8 // 9. अणुसासिउ न कुप्पिज्जा खंतिं सेविज्ज पणिडए / खुड्डेहिं सह संसग्गिं हासं कीडं च, वज्जए // 9 // 10. मा य चण्डालियं कासी बहुयं मा य आलवे / कालेण य अहिज्जित्ता तउ झाइज्ज एगगो // 10 // 11. आहच्च चण्डालियं कट्ट न निण्हविज्ज कयाइ वि / कडं कडे त्ति भासेज्जा अकडं नो कडे त्ति य // 11 // 12. मा गलियस्से व कसं वयणमिच्छे पुणो पुणो / कसं व दट्ठमाइणे पावगं परिवज्जए // 12 // 13. अणासवा थूलवया कुसीला, मिउं पि चण्डं पकरिन्ति सीसा / / चित्ताणुया लहु दक्खोववेया पसायए ते हु दुरासयं पि // 13 // 14. नापुट्ठो वागरे किंचि पुट्ठो वा नालियं वए / कोहं असच्चं कुव्वेज्जा धारेज्जा पियमप्पियं // 14 // 15. अप्पा चेव दमेयव्वो अप्पा हु खलु दुइमो / अप्पा दन्तो सुही होइ अस्सिं लोए परत्थ य // 15 // 16. वरि मे अप्पा दन्तो संजमेण तवेण य / माहं परेहि दम्मन्तो बन्धणेहि वहेहि य // 16 // 17. पडणीयं च बुद्धाणं वाया अदुव कम्मुणा / आवी वा जइ वा रहस्से नेव कुज्जा कयाइ वि // 17 // 18. न पक्खउ न पुरउ नेव किच्चाण पिउ / न जुंजे ऊरुणा ऊरुं सयणे नो पडिस्सुणे // 18 //