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________________ भाषाटीकासमेत। (63) भाषाटीका // सन शेर 2 ले ताके छीलका उतारके कली पीस दूध 20 सेरको बासनमें गेर अमिपे पचानों वा पीछे वामेश्वर अन्नक लोहसार चन्द्रोदय लोंग कपूर अकलकला असगंध // 18 // दोऊ हरदी सोंठ नागेश्वर केशर हरड बहेडे आंवले ये समान भागलेनी जावित्री जायफल पीपल काली मिर्च // 19 // वामें खांड सेर 2 मिलायके खाय वौ बादी गोलाकी व्यथा हरे विषम सबरे वादीके रोग मन्दामि दर्द कफके रोग इनको नाश करै हस्तिकविको कह्यो भयो रसोनकाख्य नामको पाक है // 20 // अथ अपस्माररोगे नस्यम् // वानरस्य कपोतस्य विष्ठा तित्तिरकस्य च // नासिकायां कृतं नस्यमपस्मारं विनाशयेत् // 21 // भाषाटीका // वानरको वीठ कपोतकी वीठ तीवरकी वीठ इनको समान भागले महीन चूर्ण कर छान नाकमें सुंघावे तो मृगीको नाश होई // 21 // __ अथ अपस्माररोगे गुटिका // कृष्णा मरिचनागस्य चूर्णं चाईकसंयुतम् // गुटिकारविपुष्पैश्च मृगी हंतिच भक्षणात् // 22 // भाषाटीका // पीपल, कालीमिर्च, शुद्धवत्सनाभ इनको चूर्णकर अदरखके रसमें मिलाय गोली आकके फूलके संग खाय वो मृगी दूर होई // 22 //
SR No.004276
Book TitleVaidyavallabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastikruchi Kavi
PublisherHastikruchi Kavi
Publication Year1843
Total Pages78
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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