________________ (60) वैद्यवल्लभ। अथ धत्तूरविषे उपचारः॥ लोणीवृक्षस्य पुष्पाणि जलेनोत्काल्य पानतः // धत्तुरस्य विषं हन्ति यथालवणपानतः // 7 // भाषाटीका // नोनियाके फूल जलमें उबालके पीवे तो धतूरेको विष दूर होई ऐसेहि नोन खायवे सों धतूरेको विष दूर होई // 7 // पुनः॥ वृन्ताकफलबीजस्य रसोहि पलमानतः // भक्षणाद्भुक्तधत्तूरविषं नश्यति निश्चितम् // 8 // भाषाटीका // बेंगनके बीजनको रस एक पलभर पीवे वो धतुरो जाने खायो होई वाको विषको निश्चै नाश करै८।। अथ पारदविष उपचारः // यथारसविष हन्यानोदुग्धेनच गन्धकम् // भाषाटीका // जैसे पारेके विषको गौके दूधके संग गंधक दूर करे है // ___अथ हरतालविषे उपचारः // , तथाससितासाक्षीरसस्तालविषहरेत् // 9 // भाषाटीका // वैसेही साक्षी सिवारवी जडको रस मिश्री मिलाय पीवेवें हरवालकों विष दूर होई // 9 // अथ खशुरगृहे तरुणी तिष्ठति तत्र प्रयोगः॥ श्वानविद् कृष्णमार्जारविष्टा लोम खरस्य च // ,