________________ (52) वैद्यवल्लभ / __ अथःसर्वनेत्ररोगे लेपः // शिवामज्जाशिवाचूर्णनिशालवणलोधकैः॥ शिवापत्ररसेकायोलेपःसर्वाक्षिरोगजित् // 19 // भाषाटीका // हरडकी मीगी हरडको चूर्ण हरदी सँधोनोन लोध इनकों समान भागलै हरडके पत्ताके रसमें घोट लेपकरवेसों सवरे नेत्ररोगनकों जीवे // 15 // सर्वनेत्ररोगे गुटिका // चकाङ्कारजनीयुग्मंकृष्णाकुष्ठसमांशकैः // कन्यारसेनगुटिकाछायासर्वाक्षिरोगजित् // 16 // भाषाटीका // खिरेटी हरदी दारुहरदी पीपल कूठ ये सब समान भागलै चूर्ण कर ग्वारपाठे के रसमें गोली छायामें सुखाय पानीमें घिस मांजवे वे छाया वा छोव वा सर्व नेत्ररोगनको जीते // 16 // ___ अथ पुनरंजनम् // नागफेनरसोधात्रीतुत्थंखपरमञ्जनम्॥ गुटीनिम्बुरसेनोक्ताहस्तिना नेत्ररोगजित् // 17 // भाषाटीका // अफीम पारौ आवले लीलाथोथो खपरीया इनको समान भागलै नींबूके रसमें गोली करे हस्तिकविकी कहै माफिक आंजे तौ नेत्ररोगनको दूर करै // 17 // अथ कर्णरोगे तैलम् // रसेनचार्कपत्राणांशिग्रस्वर्णरसेनच /