________________ भाषाटीकासमेत। (41) भाषाटीका // सँधोनोन दोनों जीरे हींग इनसो दूनी जल और तेलमें गेर औटाय वाको लेप करे तो स्रोतवृद्धि निश्चै दूर होई // 21 // पुनः उपचारः // तिक्तादुग्धेन दातव्यं सजलेन पुनर्नवा // इति श्रीवैद्यवल्लभे हस्तिरुचिकविविरचिते अतीसारस्रोतवृद्धिमरुदादिसर्वरोगप्रतीकारो नाम पंचमो विलासः // 5 // भाषाटीका // कुटकी दूधके संग देनी तथा सांठी जल सो फांके वौ स्रोतवृद्धि मिटै // इति श्रीवैद्यवल्लभे मधुपुरीस्थदक्षगोत्रोद्भवचातुर्वेदि- . राधाचन्द्रशर्मकतव्रजभाषाटीकायामवीसारस्रोः . तवृद्धिमरुदादिसर्वरोगप्रवीकारो नाम पंचमो विलासः // 5 // अथ कुक्षिरोगे उपचारः // तत्र वज्रभेदीरसः / / चित्रकं त्रिवृता दन्ती त्रिफला च कटुवयम् // तुल्यांशैश्शूर्णयेत्सूक्ष्म द्विगुणं च सुहीपयः॥१॥ पक्कं मंदाग्निना सम्यक् पंचगुंजा विरेचकृत् // देयः सर्वोदरातों च वज्रभेदी ह्ययं रसः॥२॥ भाषाटीका // चित्रक निसौव दन्ती हरड बहेड़े आ