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________________ भाषाटीकासमेत। (31) पारौ शुद्धहींगुलू गन्धक इनके संग नागरपानके रसमें ये रस सवरे प्रमेहनको नाश करै / / 13 // वल्लपोडशगुन्द्रंच सितादुग्धेन मिश्रितम् // सर्वप्रमेहे वैद्यन धातुदोषोपशान्तये // 14 // भाषाटीका / सोलह रती गौंद लैकें मिश्री और दूध के संग पीवेसों भतुदोष तथा प्रमेहको नाश होई / / 14 // अथ हीनकन्दर्पवृद्धिप्रयोगः // हंसपाकपलार्धच वृन्ताकेनच पाचयेत् // वल्लमानप्रदानेन हीनकन्दर्पवृद्धिकृत् // 19 // भाषाटीका // हागुल आधपल ताको बैंगनमें घर पकामनों तापीछं एक रत्तीदेवेसों हीनकाम अर्थात् नपुंसक पनो दूर करै // 15 // सूर्यक्षारं पलाधंच सितया सह भक्षयेत् // उष्णवातं पितरोग मूत्रकृच्छं प्रणाशयेत् // 16 // भाषाटीका // आकको खार तथा याकी ऐवज सोरा खार लेनो आध पल लैकर मिश्रीके संग पीवेसों उष्ण वात पित्तरोग मूत्रकृच्छ्र इन ये सबनकौं नाश करै // 16 // अथ मूत्ररोधे उपचारः॥ त्रिफला कर्कटीबीजं सैन्धवं समभागकैः॥ चूर्णमुष्णाम्बुनापीतं मूत्ररोधं निवारयेत् // 17 // भाषाटीका // हरड बहेडे आवरे काकडीके बीज सै
SR No.004276
Book TitleVaidyavallabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastikruchi Kavi
PublisherHastikruchi Kavi
Publication Year1843
Total Pages78
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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