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________________ भाषाटीकासमेत / (17) भाषाटीका // इंद्रजौ, अतीस, सोंठ, मिर्च, पीपल, बेल, नागरमोथा और धायके फूल, इनको चूर्णकर स्त्री खाय वो रक्तस्रावको निश्चय दूर करै // 32 // पुनः॥ जलेनकेतकीमूलं संघृष्य सितया सह // कारितं कविना नार्या रक्तस्रावं निवर्तते // 33 // भाषाटीका // केवकीकी जड पानीके संग घिस मिश्री मिलाय पीवे सों स्त्रीकी योनिझू लोहू गिरतौरहै // 33 // अथ लोमपातप्रयोगः // केशानुत्पाट्य पूर्वहि जुहीदुग्धं प्रलेपयेत् // कविना कथितं सम्यक् योनिलोमविशान्तये३४॥ भाषाटीका // बालनको उखाड पहले वा ऊपर थूहरनो दूधलेपकर देय योनि पर तौ कवि कहैहैं कि, स्त्रीके बाल नहीं आवें // 34 // पुनः॥ सुधाकुक्कुटविष्ठाच शृंखला कनकं रसम् // अश्वमूत्रेण संलेपो लोमनाशस्तदाभवेत्।। 35 // भाषाटीका // चूनो कलीको मुरगाकी बीठ संखला धतुरेको रस और घोडाको मूत्र लेप करै वो वासों बालनको नाश होई // 35 // नष्टपुष्पआगमनप्रयोगः॥..... हिंगुसौवर्चलं व्योष भाी चूर्ण समानकैः //
SR No.004276
Book TitleVaidyavallabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastikruchi Kavi
PublisherHastikruchi Kavi
Publication Year1843
Total Pages78
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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