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________________ भाषाटीकासमेत। (15) भाषाटीका // हरडकी मीगी एक पल मान तीन दिन मिश्रीके संग बराबर देतौ स्त्री रजस्वला नहीं होई // 24 // पुनः॥ दुग्धामूलमजादुग्धं कामिन्यादिवसत्रयम् // कारितं कविना सम्यक्स्त्रीणां पुष्पं निवर्तते॥२५॥ भाषाटीका // दूधीकी जड बकरीयाको दूध लुगाई वीन दिन पीवो कर वो कविकहै हैं कि स्त्री रजस्वला नहीं होई // 25 // पुनः॥ पुण्यार्केस्वर्णमूलं तु गृहीत्वा कटिबंधनम् // कदानोत्पद्यते गर्भो रंडावेश्यादियोषिताम् // 26 // भाषाटीका / पुष्यार्क योगपर धतूरेकी जड लेकर कमरमें वाँधेतौ कभू गर्भ नहीं रहै राँड रंडी वगैरे लुगाईन।२६। रक्षां पलाशबीजस्य पीत्वा शीतेन वारिणा // नभ्रूणं लभते नारी श्रीहस्तिकविना मतः॥ 27 // भाषाटीका // पलाशके वीजकी राख शीतल पानीसों पीपे वो गर्भ नहीं रहे लुगाईके श्रीहस्विकविको मत है 27 // पुनः॥ उत्काल्या बदरीलाक्षां तेलेन सह या पिबेत् // द्विकर्षमात्रा सा नारी न गर्भ लभते पुनः॥२८॥
SR No.004276
Book TitleVaidyavallabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastikruchi Kavi
PublisherHastikruchi Kavi
Publication Year1843
Total Pages78
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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