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________________ भाषाटीकासमेत। (13) पुनः॥ मधुकैलाबीजं पथ्याकाथोगोक्षुरकैः समम् // प्रतिवाससितादानात्सुन्दा धातुरोगजित् // 17 // भाषाटीका // जेठीमधु इलायचीके बीज हरड गोखरू पटवास ये बराबर भाग लै वाथकर मिश्री गेरके पीवेसों स्त्रीको धातुरोग मिटै // 17 // __गर्भपातप्रयोगः // . विश्वौषधात्पंचमुणं रसोनकमुत्काल्य नारी विदिनप्रपाययेत् // गर्भस्यपातःप्रभवेत्सुखेन योगोयमाद्यःकविहस्तिनामतः॥ 18 // भाषाटीका // सोंठ वासो पाचगुणी रसोनक इनको उबाल स्त्री तीन दिन पीये तो वाको गर्भ गिरपड़े आनंद होइ ये योग आदि कविहस्विको मतहै // 18 // पुनः॥ पिप्पलीपिप्पलीमूलंक्षुद्रा निर्गुण्डिकासमैः॥ गवाक्षीसंयुत क्वाथोनार्यागर्भस्यनाशकृत् // 19 // भाषाटीका // पीपल पीपलामूल कटेरी निर्गुण्डी और फरफेदूके संग इनको बराबर भाग लै काथकर पीवेसों स्त्रीके गर्भको नाश होई अर्थात् गिर पडे // 19 // पुनः॥ गुंजाचूर्णसमादायजलेनपलमानतः // 1 लस्सनको रसोन कहेहैं /
SR No.004276
Book TitleVaidyavallabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastikruchi Kavi
PublisherHastikruchi Kavi
Publication Year1843
Total Pages78
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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