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________________ कर्म की रासायनिक प्रक्रिया : 2 कम हमारे व्यक्तित्व के दो पहलू हैं। एक है आंतरिक चेतना और दूसरा है बाहरी चेतना। एक है सूक्ष्म और दूसरा है स्थूल। एक है अंतर्वृत्ति और दूसरा है बहिर्वृत्ति। प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तित्व इन दो भागों में विभक्त है। मनुष्य बाहरी जगत् में जो कुछ भी करता है, उससे उसका अन्तःकरण प्रभावित होता है, सूक्ष्म जगत् प्रभावित होता है। और सूक्ष्म जगत् में जो घटनाएं घटित होती हैं उनसे स्थूल जगत् प्रभावित होता है, बाहरी पर्यावरण प्रभावित होता है। . हम एक अंगुली भी हिलाते हैं, यह स्थूल जगत् की घटना है, किंतु इससे हमारा सूक्ष्म जगत् भी आंदोलित होता है। सूक्ष्म जगत् में जो कुछ परिवर्तन होता है, उसका प्रतिबिम्ब या प्रभाव स्थूल जगत् में पड़ता है। वह हमारे बाहरी वातावरण में या शरीर के परिवेश में आ * जाता है। इसलिए व्यक्तित्व की व्याख्या के लिए दोनों पहलुओं को समझना बहुत जरूरी है। ____ प्राणी जिन कर्म परमाणुओं को ग्रहण करता है और अपने साथ संबद्ध करता है, वे कर्म-परमाणु व्यवस्थित हो जाते हैं। स्वीकरण के समय उनकी एक व्यवस्था होती है। पहले उनमें कोई व्यवस्था नहीं होती। जब तक किसी प्राणी के द्वारा वे परमाणु स्वीकृत नहीं होते, तब तक वे कर्म-प्रायोग्य पुद्गल कहलाते हैं। उन परमाणुओं में कर्म के रूप में बदलने की योग्यता होती है, किंतु वे अभी तक कर्म नहीं होते हैं। जब तक आकाश-मंडल में वे परमाणु फैले हुए होते हैं, तब तक वे परमाणु. मात्र हैं, कर्म नहीं हैं। किन्तु उनमें कर्म बनने की योग्यता है। एक बात ध्यान में रहे कि हर परमाणु कर्म नहीं बनता। कर्म वही बनता ___ कर्म की रासायनिक प्रक्रिया : 2 36
SR No.004275
Book TitleKarmwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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