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________________ शरीर से। कर्म के पुद्गल बहुत सूक्ष्म हैं। ये ग्रंथियों के स्राव अष्टस्पर्शी-आठ स्पर्श वाले हैं। वे आठ स्पर्श हैं-शीत, उष्ण, स्निग्ध, रुक्ष, गुरु, लघु, मृदु और कठोर। कर्म के पुद्गल सूक्ष्म हैं। ये चार स्पर्श वाले हैं। ये चार स्पर्श हैं-शीत, उष्ण, स्निग्ध और रुक्ष। प्रत्येक परमाणु कर्म नहीं बन सकता। वे ही परमाणु कर्म बन सकते हैं, जो सूक्ष्म होते हैं, जिनमें केवल चार ही स्पर्श होते हैं, जो केवल चतुःस्पर्शी होते हैं। स्थूल परमाणु कर्म नहीं बन सकते। स्थूल परमाणुओं में कर्म बनने की और उस अमूर्त की शक्तियों को आवृत करने की क्षमता नहीं हैं। किन्तु उन सूक्ष्म परमाणुओं में वह शक्ति है, जिनमें केवल चार स्पर्श ही होते हैं। हमारी ग्रंथियों के जितने स्राव हैं, उनमें आठों स्पर्श हैं। किन्तु जो कर्म के पुद्गल हैं, वे चार स्पर्श वाले ही होंगे। इस प्रकार पुद्गलों के दो वर्ग हो गए-एक चतुःस्पर्शी पुद्गलों का वर्ग और दूसरा अष्टस्पर्शी पुद्गलों का वर्ग। चतुःस्पर्शी पुद्गल सूक्ष्म हैं। वे किसी भी सूक्ष्मतम उपकरण के द्वारा अदृश्य हैं। आज अनेक ऐसे सूक्ष्म उपकरण आविष्कृत हुए हैं, जिनके द्वारा चर्म-चक्षुओं से नहीं दीखने वाले पदार्थ भी देखे जा सकते हैं। किन्तु कर्म पुद्गल, कर्म के परमाणु इतने सूक्ष्म हैं कि वे किसी भी उपकरण के द्वारा नहीं देखे जा सकते। वे किसी भी उपकरण के द्वारा ग्राह्य नहीं हो सकते। इस भाषा में उन्हें अदृश्य भी कहा जा सकता है। यह सारी अदृश्य जगत् की चर्चा है। यह उस जगत् की चर्चा है, जो हमारी इन्द्रियों का विषय नहीं है, जो हमारे द्वारा आविष्कृत उपकरणों का विषय नहीं है। उसे जानने के लिए विशिष्ट अतीन्द्रिय ज्ञान चाहिए। वैज्ञानिकों ने आज ऐसे उपकरण बनाये हैं जिनके माध्यम से मृत्यु के समय स्थूल-शरीर से निकलने वाली आत्मा का फोटो लिया जा सकता है। उस समय आत्मा अकेली नहीं होती। उसके साथ सूक्ष्म-शरीर होते हैं। . वैज्ञानिक मानते हैं कि यह आत्मा का फोटो है। आत्मा का फोटो नहीं लिया जा सकता। वह अमूर्त है। अमूर्त को कोई भी उपकरण ग्रहण नहीं कर सकता। किन्तु आत्मा जब स्थूल शरीर को छोड़कर बाहर निकलती 16 कर्मवाद
SR No.004275
Book TitleKarmwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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